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अब सिर्फ खुद का सोचती हूँ...💕💕

अब सिर्फ खुद का सोचती हूं । खुद से ही मुलाकात करती हूं । बहुत खुश हूं अपने जीवन में , क्योंकि उम्मीद अब कम ही करती हूं । जो है जैसा है, बहुत लाजवाब है , बीते हुए कल का अब एतबार नही करती हूं । मेरे आज में सुकूँ और सपनोँ का जुनून है , हौसलों की चादर और भरोसा खुद पे रखती हूं । वक़्त को अपने वक़्त से मिला लिया करती हूं । और थोड़ा वक़्त खुद के लिए चुरा लिया करती हूं । शुक्रगुजार हूं खुदा की , जो मिला वो वाकई में कम नही , और कुछ खोने का मुझे गम नही ।

हाँ... थोड़ी अलग सी हूँ मै....❣️❣️

हाँ... थोड़ी अलग सी हूं मैं... लेकिन यह भी सच है गलत नही हूँ मैं... "समझ" मेरी थोड़ी अलग सी है ...क्योंकि अलग हूँ मैं... हाँ पसंद नही आती लोगों की बातें मुझे जल्दी।... लेकिन ये भी सच है ,सही हूँ मैं... मेरा गौरव मेरा आत्मविश्वास ... और लोगों से मिली इज़्जत ही है ताज मेरा ... लेकिन ये भी सच है इन्हीं से सरताज़ हूँ मैं..... हाँ ...थोड़ी अलग सी हूँ मैं... जज्बातों को बयां करने मे कतराती हूँ मैं... लेकिन ये भी सच है जज्बातों से लबरेज़ हूं मैं... हाँ ...थोड़ी अलग सी हूँ मैं... डरती हूँ किसी के करीब होने से ... लेकिन ये भी सच है.. चाहती हूँ "किसी" को दिल के कोने से ... हाँ... थोड़ी अलग सी हूँ मैं... दुनियां वालों के जैसे इश्क़ में मरना मिटना नही आता मुझे... लेकिन ये भी सच है "किसी" एक लिए जीना सीख रही हूँ मैं हाँ... थोड़ी अलग सी हूँ मै... गर मुझसे इश्क करे जो.....मानो पा लेगा मुझे फिर वो.. लेकिन जो मुझे समझ सकें.. तो फिर उसके लिए जिंदगी भर रूह का अहसास हूँ मैं....

मैं जो हूँ, जैसी हूँ, खुद से बहुत प्रेम करती हूँ..

कुछ पुरानों को खो कर ,नए का आगाज करती हूँ... अपने मन की कर के,कभी अपनो को नाराज करती हूँ.. आंखों में नींद लिए ,ख्वाबों का इंतजार करती हूं हर ख़्वाब सच हो सकता है ,इस बात पे एतबार करती हूँ कभी अपनों से लड़कर नाराज हुआ करती हूँ तो कभी उन्हीं के साथ बैठ के, मजाक किया करती हूँ... जिंदगी ने जो नया फूल खिलाया है, उसे एहसास करती हूँ.. जिंदगी यूँही खूबसूरत बनी रहे, बस यहीं प्रयास करती हूँ.. जीवन के छोटे से सफ़र के लिए योजना बहुत गढती हूँ... तो कभी बैठ सिराहने माँ के ,चैन से सोया करती हूँ.. हाथों में कलम लिए, कुछ नया लिखने का प्रयत्न करती हूँ. तो कभी कुछ बिता भूल कर,आगे जाने का अभ्यास करती हूँ.. ठेस ना पहुँचे दिल को,इसलिए खुद से बतिया लिया करती हूँ, मैं जो हूँ, जैसी हूँ, खुद से बहुत प्रेम करती हूँ..